नई दिल्ली। (विक्रम सेन) 18 वी लोकसभा हेतु 543 सदस्यों का चयन हों गया हैं। दो सबसे बड़ी पार्टियों – सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी कांग्रेस – के पास 339 सांसद होंगे (बीजेपी: 240, कांग्रेस: 99)। बीजेपी, जो लगातार तीसरी बार बहुमत (2014 में 282 सीटें और 2019 में 303) से 32 सीटें कम रह गई, कांग्रेस ने 2014 में 44 और पांच साल बाद 52 सीटों से अपनी संख्या बढ़ाई।
प्राप्त जानकारी अनुसार, “राष्ट्रीय दलों” के रूप में मान्यता प्राप्त राजनीतिक संगठनों ने 346 सीट या 64% सीटें हासिल कीं, जबकि क्षेत्रीय दलों ने 197 सीट (33%) सीटें जीतीं और अब ये दल ही नई लोकसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहें हैं।
हालांकि, भाजपा अपने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सहयोगियों की मदद से केंद्र में अपनी तीसरी लगातार सरकार बनाने के लिए तैयार है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 जून को शपथ ले सकते हैं, जो उनके लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए होगा। एनडीए के सहभागियों की लोकसभा में कुल 293 सीटें हैं। इस आंकड़े में कुछ निर्दलीय और अन्य पार्टियों के समर्थन से वृद्धि होना शेष हैं। बता दें कि गैर-एनडीए/इण्डिया दलों के उम्मीदवारों ने 17 सीटें जीतीं, जिनमें सात सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों की हैं।
वहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक में 233 सांसद होंगे, जिसमें उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (एसपी) की सहयोगी पार्टी देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में 37 सीटें जीतेगी, जिससे अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी। एसपी के बाद इंडिया के अन्य सदस्य हैं: पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (29 सीटें) और डीएमके (22 सीटें), जो तमिलनाडु पर शासन करती है।
बता दें कि 18 वी लोकसभा के चुनावों में 751 पार्टियों ने भाग लिया, जो 2009 की तुलना में 104% अधिक है, जब 368 पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में थे।
विदित हो कि 2014 और 2019 में चुनाव लड़ने वाले दलों की संख्या क्रमशः 464 और 677 थी।
आगामी 18वीं लोकसभा में 41 राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व होगा, जबकि बुधवार को भंग हुई 17वीं लोकसभा में यह संख्या 36 थी, जैसा कि चुनाव बाद के आंकड़ों से पता चलता है।
संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी
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