ओंकारेश्वर में नर्मदा सुखी, अमावस्या पर्व पर भी पानी नहीं छोड़ा चट्टानों पर गिरते करना पड़ा स्नान।
खण्डवा/ओंकारेश्वर। (ललित दुबे) ओंकारेश्वर बांध परियोजना द्वारा नर्मदा नदी की अविरल धारा हमेशा रोके दीए जाने को लेकर दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु नर्मदा प्रेमियों को चट्टानों पर स्नान करना मजबूरी हो गया है।
करोड़ों रुपए की आय कमाने वाली ओकारेश्वर बांध परियोजना एनएचडीसी के द्वारा ओकारेश्वर आसपास क्षेत्र के रहवासियों को कोई उल्लेखनिय लाभ नहीं दिया ना ही आने वाले श्रद्धालुओं को कोई फायदा हो रहा है।
सार्वजनिक बिजली का भुगतान नगर परिषद को करना पड़ रहा।
प्रतिमाह लाखों का बिजली बिल ओकारेश्वर वासियों को देना पड़ रहा है। यहां तक कि एनएचपीसी द्वारा शासकीय संस्थाओं तथा सार्वजनिक स्थानों पर निशुल्क बिजली की सुविधा तक नहीं दी। नगर परिषद ओंकारेश्वर की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद भी सार्वजनिक स्थानों के लाखों के बिल भरना पड़ रहे हैं। जबकि बिजली मुक्त किए जाने के प्रस्ताव तक परिषदों ने नहीं लिए परिषदे बदल गई पर ठर्रा नहीं बदला। विडंबना कहें या दुर्भाग्य निमाड़ क्षेत्र के लोगों ने सफेद हाथी के रूप में एनएसडीसी को पाल रखा है।
पिछले 5 दिनों से नर्मदा नदी सूखी।
ओंकारेश्वर बांध परियोजना के सभी गेट आंधी तूफान के दौरान हुई नौका दुर्घटना के बाद से बंद कर दिए गए हैं। नर्मदा के घाटों से कोसों दूर पानी चला गया है। शनि जयंती अमावस्या पर्व पर लगभग 50,000 से अधिक श्रद्धालुओं का आगमन हुआ। इसी प्रकार नर्मदा खेड़ी घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे किंतु एनएसडीसी द्वारा पानी नहीं छोड़े जाने के कारण चट्टानों पर गिरते पड़ते श्रद्धालुओं को जनप्रतिनिधियों तथा सरकार को कोसते हुए नर्मदा स्नान करना पड़ा।
नर्मदा जी की अविरल धारा को लेकर जन प्रतिनिधि खामोश।
क्षेत्र के सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल मांधाता विधायक नारायण पटेल ओकारेश्वर एवं निचली बस्तियों में पानी की किल्लत को लेकर कई बार किया आंदोलन। साथ ही हो रही परेशानियों को मद्देनजर अवगत कराया किंतु जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों द्वारा आवाज नहीं उठाने के कारण एनएचडीसी एवं प्रशासन शासन की मनमानी लगातार बढ़ रही है। श्रद्धालुओं की लगातार हो रही परेशानी के कारण प्रदेश की शिवराज सरकार की छवि भी यहां धूमिल हो रही है। क्या आगामी चुनाव में जनता का कोप धर्म की रक्षा करने वाली भाजपा सरकार को नहीं उठाना पड़ेगा सवाल उठने लगे हैं।
नर्मदा में गुजरात के श्रद्धालु के शव को खोजने के लिए रोका पानी 72 घंटे बाद शव मिला उसके बावजूद भी जिला प्रशासन और बांध प्रबंधन द्वारा पानी नहीं छोड़ा जिससे धर्म प्रेमी जनता में आक्रोश देखा गया।
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