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आखिर पुलिस क्यों नहीं सुनती फरियादी की? क्यों आना पड़ता है SP के पास ?

Why does the police not listen to the complaint? Why does one have to come to the SP?

आखिर पुलिस क्यों नहीं सुनती फरियादी की? क्यों आना पड़ता है SP के पास ?

सरदारपुर/धार। जहां एक और जिला पुलिस अधीक्षक आदिवासी समाज को जुर्म की दुनिया से निकालकर मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कई अथक प्रयास कर रहे हैं। खाटला बैठक सहित बाजार में घूम कर पुलिस की छवि को आम जनता के बीच में सुधारने का एक विश्वसनीय तरीका अपनाए हुए हैं। वहीं आदिवासी समाज के व्यक्तियों को पुलिस की ही शिकायत जिला पुलिस अधीक्षक से करना पड़ रही है।

एक ताजा मामले में एक आदिवासी युवक की पत्नी को पड़ोस का ही एक व्यक्ति बहला फुसला कर भगा ले गया। जिसकी शिकायत कई दिनों से प्रार्थी लगातार राजगढ़ थाने में जाकर कर रहा है। बावजूद उसके राजगढ़ थाना पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की आखिरकार उस युवक को अपनी पीड़ा सुनने के लिए जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक पहुंचना पड़ा।

युवक ने जिला पुलिस अधीक्षक को अपनी पीड़ा सुनते हुए एक लिखित आवेदन सौपा की किस प्रकार राजगढ़ पुलिस पक्षपात पूर्ण तरीके से कार्रवाई नहीं करते हुए मुझ प्रार्थी के परिवार को बिखेर रही है। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। मेरा एक बच्चा एक वर्ष का है जो कि अभी मां शब्द से भली भांति रूबरू भी नहीं हुआ है।

आरोपी लगातार जान से मारने की धमकी सहित कई धमकियां प्रार्थी को दे रहा है। उसका कहना है कि अब तेरी बीवी को मैं नहीं छोडूंगा तुझसे जो बने वह कर ले वह उसे अपने साथ ही रख रहा हे।

Why does the police not listen to the complaint? Why does one have to come to the SP?

संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी

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