इंदौर। विपुल रैगे – न्यूज का फुलफॉर्म नॉर्थ ईस्ट वेस्ट साउथ होता है। बहुत से विषयों पर खबर और लेख आते हैं। इनसे आपको जानकारियां मिलती हैं। इसके बाद भी पत्रकारों को कोसा जाता है। पत्रकारिता पाठ्यक्रम में सिखाया जाता है कि यूनिक खबर हमेशा चर्चा में आती है। मेरे विचार में तो यूनिकनेस ही पत्रकारिता को स्पंदित करती है।
सन 2022 में भारत और शेष दुनिया ने जाना कि केरल के मुन्नार की घाटिया हर बारह बरस में बैंगनी रंग में रंग जाती हैं। यहां एक नीलकुरिंजी फूल पाया जाता है जो बारह वर्ष में एक बार खिलता है। ये तथ्य अब तक मुन्नार के स्थानीय निवासियों को ही ज्ञात था लेकिन एक घटना ने इसे मीडिया तक पहुंचाया और बाद में ये जानकारी सब तक पहुंची।
केरल के कोट्टयम की एक 87 वर्षीय महिला इलाकुट्टी पॉल चलने में असमर्थ थी। उसने अपने दोनों बेटों से कहा कि वह नीलकुरिंजी फूल देखना चाहती हैं। दोनों बेटे रोजन और सत्यन मां को वहां लेकर गए। एक स्थान पर गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकी। उस पर्वतीय क्षेत्र में बेटों ने मां को कंधों पर लेकर आगे की यात्रा की। आखिर में इलाकुट्टी उस जगह पर पहुंची, जहां नीलकुरिंजी फूल से भरी घाटियां उनकी प्रतीक्षा कर रही थी। इलाकुट्टी ने मन भर उस दृश्य को निहारा और अपने बेटों को आशीर्वाद दिया।
एक वृद्ध महिला की आखिरी इच्छा का परिणाम ये हुआ कि संपूर्ण देश नीलकुरिंजी फूल के बारे में जान गया। मीडिया ने इसमें पुल का काम किया। ऐसे ही वृद्ध लोग कितनी दुर्लभ जानकारियां अपने साथ लिए चले जाते हैं। फिर उन तक पहुंच पाना लगभग असम्भव हो जाता है।
तो इस कहानी से हमने जाना कि इलाकुट्टी की इच्छा ने नीलकुरिंजी को खोज लिया। कितना मनमोहक, कितना सजीला दृश्य, अहा। 2022 के बाद अब ये 2034 में खिलेंगे।
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