सीबीआई की रिपोर्ट ने नर्सिंग कालेजों की उधेड़ी बखिया, जेपी नड्डा हैरान, राजेन्द्र शुक्ला-विवेक तन्खा ने नर्सिंग कॉलेजों में गुणवत्ता का चलाया अभियान।
इंदौर। (अनीता चौबे) मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाले से जुड़े नए खुलासे राज्य की शिक्षा प्रणाली में गहरी गड़बडियों को उजागर कर रहे हैं। सीबीआई की ताजा रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं जिसके अंतर्गतबहुचर्चित नर्सिंग कॉलेजों की योग्यता और मानकों में भारी गिरावट आई है, लेकिन इंडियन नर्सिंग कॉउसिंल ने जिस तरह मप्र के सभी मापदंडों को पूरे करने वाले नर्सिंग कॉलेजों को अनावश्यक रूप से एनओसी देने के लिए होल्ड पर रखा है उससे इंडियन नर्सिंग कॉउसिंल में भी भारी भ्रष्टाचार के संकेत मिले हैं।
सूत्रों का कहना है कि, 20 वर्षों से अधिक नर्सिंग कॉउसिंल के अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करके बैठने वाले टी. दिलीप कुमार ने मप्र में भी नर्सिंग कॉलेजों की दुर्दशा के लिए जितने गैर जिम्मेदारी से काम किया है वह भी दोबारा सीबीआई की जांच के घेरे में है।
बता दें कि, टी. दिलीप कुमार अभी भी भ्रष्टाचार से आरोपित एक रिटायर्ड महिला अधिकारी को बैंगलुरू में कंस्टलटेंट बनाकर पूरे देश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के लिए सुटेबिलिटी सर्टीफिकेट जारी करवा रहे हैं। इसी के चलते मप्र में कई अच्छे कॉलेज जिन्होंने नर्सिंग शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम किया है उन्हें भी टी. दिलीप कुमार जानबूझकर परेशान कर रहे हैं और इंडियन नर्सिंग कॉउसिंल में भ्रष्टाचार को मप्र के नर्सिंग घोटाले के साथ जोड़कर फिर से एक कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य एवं सुप्रीम कोर्ट के विद्धान अधिवक्ता विवेक तन्खा ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर ग्वालियर के केएस नर्सिंग कॉलेज तथा अभिषेक नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता नहीं देने पर अनुरोध किया है कि, टी. दिलीप कुमार के रवैये में सुधार किया जाए ताकि नर्सिंग छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को रोका जा सके।
बता दें कि 2023 में जहां 73 कॉलेजों को ‘कमी वाले’ की श्रेणी में रखा गया था, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 309 हो गई है। अपात्र कॉलेजों की संख्या भी चिंताजनक रूप से 66 से बढ़कर 339 हो गई है, जबकि योग्य कॉलेजों की संख्या घटकर 156 रह गई है। नर्सिंग कॉलेज घोटाले को व्यापमं के बाद सीबीआई द्वारा जांचा जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। राज्य के 370 नर्सिंग कॉलेजों में करीब 1 लाख छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
सूत्रों का कहना है कि सीबीआई में अभूतपूर्व रिश्वतखोरी के बाद शीर्ष अधिकारी शुरू से ही घोटाले की पुन: जांच की मांग कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2022 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई की जांच शुरू हुई। शुरुआती जांच में कई नर्सिंग कॉलेजों में व्यापक अनियमितताएं सामने आईं, जिसके बाद हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश के सभी 364 नर्सिंग कॉलेजों की व्यापक जांच का आदेश दिया। ये कॉलेज अनिवार्य मानकों को पूरा नहीं करते थे, फिर भी मंजूरी पाने में कामयाब रहे। और इस फर्जी कामयाबी में इंडियन नर्सिंग कॉउसिंल ने भी अहम भूमिका यह कहकर निभाई कि, जब राज्य से नर्सिंग कॉउसिंल की जांच के बाद सिफारिशें आईं तो उसे कैसे रोका जा सकता था।
इधर हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने निरीक्षण दल बनाए थे, जिसमें उसके अपने अधिकारी, नर्सिंग स्टाफ और भूमि रिकॉर्ड अधिकारी शामिल थे। इस मामले ने तब सुर्खियां बटोरीं जब नर्सिंग घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हें गिरफ्तार किया गया। घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप और गिरफ्तारी ने मामले को और पेचीदा बना दिया। इससे सीबीआई की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं। इस घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें प्रदेश के करीब 600 नर्सिंग कॉलेजों में से 309 को ‘कमी वाले’ कॉलेज के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला का कहना है कि, मप्र में अब नर्सिंग छात्रों की पढ़ाई-लिखाई सुनिश्चित कर दी गई हैं और समय पर ही नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता और सुटेबिलिटी सर्टीफिकेट प्रदान की जा रही है जो मापदंड पर खरे उतर रहे हैं, लेकिन इंडियन नर्सिंग कॉउसिंल को उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला अथवा राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा की पहल से कोई लेना-देना नहीं है। सात जन्मों के लिए लगातार कसम खाकर ऐन-केन प्रकारेण एक मेल नर्स इंडियन नर्सिंग कॉउसिंल में कब्जा कुछ इस तरह करके बैठे हुए हैं कि, उनकी मनमानी के सामने केन्द्रीय मंत्री जेपी नड्डा की भी नहीं चलती। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
इस कड़वी खबर का लब्बोलुआब यह है कि उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला तथा कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के हस्तक्षेप के बाद संभवत: राज्य की नर्सिंग शिक्षा प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
सवाल उठता है क्या राज्य सरकार और सीबीआई इस मामले में कठोर कार्रवाई करेगी? अभी यह उत्तर मिलना बाकी है, लेकिन डॉ. मोहन यादव ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो हर हालत में दोषियों पर सख्त कार्रवाई करें और घोटाले की तह पर जाकर मप्र सरकार की पारदर्शिता को नर्सिंग शिक्षा के क्षेत्र में फिर से स्थापित करें तो चौंकिएगा मत।
संपादक- श्री कमल गिरी गोस्वामी
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