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दो भागों में विभाजित हुई भाजपा लगा रहे हैं एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप

चुनावी समीक्षा ‘वरिष्ठ पत्रकार अजय खापरे’ की कलम से— मोबाइल:- 76498 36612

धार। राजीव यादव है निर्दलीय उम्मीदवार का नाम। बीजेपी प्रत्याशी के गले की हड्डी बने इस युवा मैं महत्वाकांक्षा कूट-कूट कर भरी है। लगभग दो दशक से ज्यादा वर्षों से मशाल यात्रा निकालने के कारण धार ही नहीं वरन पूरे प्रदेश में इस युवा नेता ने अपनी लोकप्रियता का परचम फहराया है।

इसके ठीक उलट लगभग 1977 से भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं विक्रम वर्मा और उनके बाद 2008 से चुनाव लड़ रही उनकी पत्नी श्रीमती निना वर्मा ने विकास के नाम पर जनता से वोट मांगा और जनता का आशीर्वाद मिलता रहा। विक्रम वर्मा धार की जनता में विकास पुरुष के नाम से लोकप्रिय हैं। उनके खास कहे जाने वाले श्री अग्रवाल जो इनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर हमेशा इनके साथ खड़े रहते थे कई चुनाव में इन्हें विजय श्री हासिल करवाने में अहम भूमिका निभाई वह इस बार निर्दलीय प्रत्याशी का मार्गदर्शन कर रहे हैं।

श्री अग्रवाल खुलेमंच से कहते हैं कि नीना वर्मा को जिताना हमारी मजबूरी थी। यह एक कांग्रेस के विरोधी धड़े के सहयोग से चुनाव जीतते आ रहे है थे।

वहीं निर्दलीय प्रत्याशी यादव ने एक कदम आगे बढ़तेहुए मंच से कहा कि अनंत अग्रवाल ने जिसका हाथ पकड़ा, वह चुनाव जीत के ही आया है। उन्होंने कहा की लाडली बहनाओ को सशक्त बनाने के लिए हमे वोट दें, वहीं दूसरी तरफ विक्रम वर्मा कहते हैं कि पीथमपुर में भाजपा प्रत्याशी नीना वर्मा तथा स्वयं मेरा और मेरी बेटी का पुतला जलाते हैं। बच्चियों का तो कन्यादान किया जाता है क्या ऐसे लोग विधायक बनने के लायक हैं?

निर्दलीय प्रत्याशी राजीव यादव की बात माने तो 2018 में हुए चुनाव में विक्रम वर्मा ने एक आम सभा के दौरान कहा था कि यह मेरा आखिरी चुनाव है, अब इन्होंने वोटर लिस्ट में उनकी पुत्री का नाम भी जुडा लिया। मेरा चुनाव परिवारवाद के खिलाफ है। पार्टी में अन्य लोगों को भी मौका मिलना चाहिए। यही कारण है कि भाजपा प्रत्याशी श्रीमती नीना वर्मा को कई गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। इन्होंने कहा था कि गौतम कंपनी को में लेबड छोड़कर आऊंगा। लेकिन यह लेबड़ छोड़कर तो नहीं आए ओर खुद का बॉटलिंग प्लांट डाल लिया। वहीं इन आरोप प्रत्यारोप से दूर कांग्रेस प्रत्याशी अपने प्रचार में व्यस्त हैं।

प्रधान संपादक- कमलगिरी गोस्वामी

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